शेयर मार्केट (Share Market) में अगर आप सफल होना चाहते हैं, खासकर ट्रेडिंग (Trading) में, तो आपको एक चीज़ की गहरी समझ होनी चाहिए जिसको हम कहतें हैं मार्केट स्ट्रक्चर (Market Structure)। जब आप शेयर मार्केट (Share Market) के चार्ट (Chart) को देखते हैं, तो आपको लगता होगा कि प्राइस (Price) बस ऊपर-नीचे होता रहता है। लेकिन, अगर आप इसे ध्यान से देखें, तो आपको एक पैटर्न (Pattern) दिखेगा। यह पैटर्न ही मार्केट स्ट्रक्चर (Market Structure) कहलाता है।
मार्केट स्ट्रक्चर को समझना किसी भी फाइनेंशियल मार्केट (Financial Market) में प्राइस (Price) की चाल को समझने की कुंजी (Key) है। यह हमें बताता है कि मार्केट ऊपर जा रहा है, नीचे जा रहा है, या साइडवेज़ (Sideways) चल रहा है। यह कॉन्सेप्ट “स्मार्ट मनी कॉन्सेप्ट (Smart Money Concept – SMC)” ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी का एक आधार है।
मार्केट स्ट्रक्चर को समझना किसी भी ट्रेडर (Trader) के लिए बहुत ज़रूरी है। यह आपको बताता है कि मार्केट किस दिशा में जा रहा है और कहाँ पर ट्रेंड (Trend) बदल सकता है। आइये, आसान भाषा में समझते हैं कि मार्केट स्ट्रक्चर क्या है और इससे जुड़े कुछ ख़ास कॉन्सेप्ट्स (Concepts) – BOS, BMS, और SMS – क्या हैं।
शेयर मार्केट में मार्केट स्ट्रक्चर, BOS, BMS और SMS क्या हैं?
मार्केट स्ट्रक्चर क्या है? (What is Market Structure?)
मार्केट स्ट्रक्चर का मतलब है प्राइस का हाई (High), लो (Low), हायर हाई (Higher High), हायर लो (Higher Low), लोअर हाई (Lower High) और लोअर लो (Lower Low) बनाने का तरीका। इसको आसान भाषा में समझे तो मार्केट स्ट्रक्चर, जिसे प्राइस एक्शन (Price Action) भी कहा जाता है, चार्ट पर बनने वाले हाइज़ (Highs) और लोज़ (Lows) की सीरीज़ (Series) है। प्राइस हमेशा एक सीधी रेखा में नहीं चलता; यह ज़िग-ज़ैग (Zig-zag) पैटर्न में चलता है, जो हमें मार्केट का ट्रेंड (Trend) बताता है।
इसे तीन मुख्य भागों में बांटा जा सकता है:
बुलिश मार्केट स्ट्रक्चर (Bullish Market Structure):
जब मार्केट ऊपर की तरफ जा रहा होता है।
इसमें प्राइस लगातार हायर हाई (Higher Highs) और हायर लो (Higher Lows) बनाता है।
इसका मतलब है कि हर बार जब प्राइस गिरता है, तो वह पिछले लो (Low) से ऊपर होता है, और जब वह ऊपर जाता है, तो वह पिछले हाई (High) से ऊपर होता है। यह एक अपट्रेंड (Uptrend) को दर्शाता है।
बेयरिश मार्केट स्ट्रक्चर (Bearish Market Structure):
जब मार्केट नीचे की तरफ जा रहा होता है।
इसमें प्राइस लगातार लोअर लो (Lower Lows) और लोअर हाई (Lower Highs) बनाता है।
इसका मतलब है कि हर बार जब प्राइस ऊपर जाता है, तो वह पिछले हाई से नीचे होता है, और जब वह नीचे गिरता है, तो वह पिछले लो से नीचे होता है। यह एक डाउनट्रेंड (Downtrend) को दर्शाता है।
रेंजिंग या साइडवेज़ मार्केट स्ट्रक्चर (Ranging or Sideways Market Structure):
जब मार्केट एक ही रेंज में ऊपर-नीचे होता है।
इसमें प्राइस कोई नया हायर हाई या लोअर लो नहीं बनाता है। यह कंसोलिडेशन (Consolidation) का पीरियड होता है।
BOS, BMS और SMS क्या हैं? (What are BOS, BMS & SMS?)
ये तीनों कॉन्सेप्ट्स मार्केट स्ट्रक्चर में आने वाले बदलावों को समझने में मदद करते हैं।
BOS (Break of Structure)
BOS का मतलब है ब्रेक ऑफ स्ट्रक्चर (Break of Structure)।
यह एक ऐसा इवेंट (Event) है जहाँ प्राइस उसी दिशा में अपना मोमेंटम (Momentum) जारी रखता है।
उदाहरण:
बुलिश BOS:
जब एक अपट्रेंड (Uptrend) में प्राइस एक नया हायर हाई (Higher High) बनाता है, यानी वह अपने पिछले हाई को तोड़कर ऊपर जाता है, तो इसे BOS कहते हैं।
बेयरिश BOS:
जब एक डाउनट्रेंड (Downtrend) में प्राइस एक नया लोअर लो (Lower Low) बनाता है, यानी वह अपने पिछले लो को तोड़कर नीचे जाता है, तो इसे भी BOS कहते हैं।
BOS का फायदा
BOS आपको बताता है कि मौजूदा ट्रेंड (Current Trend) अभी भी स्ट्रांग (Strong) है। ट्रेडर्स अक्सर BOS को देखकर उसी दिशा में ट्रेड लेते हैं।
BMS (Break in Market Structure)
BMS का मतलब है ब्रेक इन मार्केट स्ट्रक्चर (Break in Market Structure)।
यह एक ऐसा सिग्नल (Signal) है जो बताता है कि मार्केट का मौजूदा ट्रेंड अब कमजोर हो रहा है और शायद बदलने वाला है।
उदाहरण:
बुलिश ट्रेंड में BMS:
अगर मार्केट लगातार हायर हाई और हायर लो बना रहा है, और अचानक वह एक लोअर लो बना देता है (यानी पिछले लो से नीचे चला जाता है), तो यह BMS है। यह एक साइन है कि अपट्रेंड खत्म हो सकता है।
बेयरिश ट्रेंड में BMS:
अगर मार्केट लगातार लोअर लो और लोअर हाई बना रहा है, और अचानक वह एक हायर हाई बना देता है (यानी पिछले हाई से ऊपर चला जाता है), तो यह BMS है। यह एक साइन है कि डाउनट्रेंड खत्म हो सकता है।
BMS से फायदा:
BMS को देखकर आप अपनी मौजूदा ट्रेड पोजीशन से बाहर निकलने या ट्रेंड के बदलने पर एक नया ट्रेड लेने की तैयारी कर सकते हैं।
SMS (Shift in Market Structure)
SMS का मतलब है शिफ्ट इन मार्केट स्ट्रक्चर (Shift in Market Structure)।
यह BMS से मिलता-जुलता है लेकिन अक्सर इसका इस्तेमाल बड़े टाइमफ्रेम (Timeframe) पर किया जाता है।
SMS भी मार्केट के ट्रेंड में एक बड़े बदलाव को दर्शाता है। इसे कभी-कभी BMS का ही एक और नाम माना जाता है, खासकर स्मार्ट मनी कॉन्सेप्ट (SMC) की ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी में।
उदाहरण:
जब एक अपट्रेंड में प्राइस नया हायर हाई बनाने की बजाय अचानक से पिछला हायर लो तोड़कर नीचे गिर जाता है, तो इसे SMS कहते हैं।
SMS से फायदा:
SMS को देखकर ट्रेडर्स मानते हैं कि अब मार्केट का ट्रेंड पूरी तरह से बदल गया है और वे अपनी स्ट्रैटेजी को उसी के अनुसार एडजस्ट करते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
मार्केट स्ट्रक्चर, BOS, BMS, और SMS को समझना शेयर मार्केट में सफल ट्रेडिंग के लिए बहुत ज़रूरी है। यह आपको चार्ट को बेहतर तरीके से पढ़ने और मार्केट के पीछे की असली कहानी को समझने में मदद करता है।
इन कॉन्सेप्ट्स का इस्तेमाल करके आप ज़्यादा स्मार्ट और लॉजिकल (Logical) ट्रेडिंग डिसीजन ले सकते हैं। लेकिन याद रखें, कोई भी एक कॉन्सेप्ट 100% सही नहीं होता। आपको इन्हें हमेशा दूसरे टेक्निकल इंडिकेटर्स (Technical Indicators) और रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) के साथ इस्तेमाल करना चाहिए।
इन कॉन्सेप्ट्स का इस्तेमाल करके आप ब्लाइंडली (Blindly) ट्रेड करने के बजाय, प्राइस की चाल के पीछे के असली लॉजिक (Logic) को समझ सकते हैं और मार्केट के बड़े मूवमेंट्स को पहले ही पहचान सकते हैं। यह आपको एक ज़्यादा अनुशासित (Disciplined) और प्रॉफिटेबल ट्रेडर बनने में मदद करेगा।
मुझे उम्मीद है कि यह आर्टिकल आपको मार्केट स्ट्रक्चर के बारे में उपयोगी जानकारी देगा।
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शेयर मार्केट में मार्केट स्ट्रक्चर क्या होता हैं?
जब आप शेयर मार्केट (Share Market) के चार्ट (Chart) को देखते हैं, तो आपको लगता होगा कि कभी प्राइस (Price) ऊपर जा रहा है और कभी प्राइस नीचे जा रहा है। लेकिन, अगर आप इस मूवमेंट को बहुत ध्यान से देखें, तो आपको एक पैटर्न (Pattern) दिखेगा। इस पैटर्न को ही मार्केट स्ट्रक्चर कहा जाता है।
क्या मार्केट स्ट्रक्चर को ऑनलाइन सीख सकते हैं?
जी हाँ। अगर आप चाहें तो आप इसे ऑनलाइन इंटरनेट के माध्यम से सीख सकते हैं आज के टाइम में आपको यूट्यूब पर इससे सम्बंधित बहुत सारे वीडियो आसानी से मिल जाएगें। आप यूट्यूब पर वीडियो देखकर इसको सीख सकते हैं।